बहुत दिनों बाद बालियापाल / मनोरमा महापात्र

रचनाकार: मनोरमा महापात्र (1947)
जन्मस्थान: जगाई ग्राम, बालेश्वर
कविता संग्रह: किसलय(1963), व्रतती(1966), फूल फूटा मुहुर्त(1978), स्मृति श्रावण ओ प्रतिबिम्ब(1978), स्वातिलग्न(1979), जह्नरातिर मुहँ(1981) केते कथा केते गीत(1982), एकला नई गीत(1990), थरे खाली डाकी देले (1992), फाल्गुनी तिथिर झिअ(1998)

आकाश झुका हुआ था यहाँ आलिंगन की मुद्रा में
हरे धान के खेतों के ऊपर
सर्दी के धुंए और लहलहाते सरकण्डों की हवा में तैरते
सपना देखते
सूर्योदय और सूर्यास्त की गेरुआ धूप में।
मुझे कौन खींच लाया है यहाँ ?
काजू और कटहल की विस्तीर्ण श्यामल उपत्यका
इस बालियापाल को।
खेत खलिहानों के धान को चूमकर लौटते
सुगंधित हवा के इलाके को।

कौन मुझे खींच लाया यहाँ ?
चकुली पीठा की खुशबू से भरी धरती को
मेरे सुगंधित शैशव को
मेरे अतीत को
मेरे भोले बचपन को
बहुत दिनों बाद इस बालियापाल को ?
अचानक याद आने लगा, सब कुछ
मामा का चकुली पीठा
कलम साग की खुशबू
गर्मी की छुट्टियों में गांव की खुशहाली
मैं थकाहारा राही आज
केवल घड़ी भर सुस्ताऊँ
मेरे गांव की स्मृति की छाया में।

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