भेंट / सुचेता मिश्र

रचनाकार: सुचेता मिश्र
जन्मस्थान: लीड बैंक लेन, पोलिस लाइन,पुरी-751002
कविता संग्रह: पूर्वराग (1991),शीला-लिपि (1995)

मेरे भीतर क्या देख रहे थे
मेरे जीवन की अच्छाइयों या
बुराइयों को,
तुम क्या खोज रहे थे
विनाश, उत्थान या पतन
टूटी हुई चौखट के
कुचले हुए प्रेम में ?
हम दोनो बहुत समय से
चाय पी रहे थे
अंधेरे हवारहित कमरे में
गरम चाय की तरह
हमारे आँसू भी गरम थे।

तुमने कहा था
जीवन में ऐसा क्यों हुआ
वैसा क्यों नहीं हुआ
मुझे लगा
हम चाय क्यों पी रहे हैं
हमारे भीतर खलबली
गले तक प्यास से
मैने तुम्हें गिलास पानी दिया
पानी के भीतर
मेरा डूबा प्रतिरूप
कुछ पृष्ठ
किसी की एक अंतहीन
पवित्र प्रतीक्षा ।

तुम अचानक खड़े हो गए
अविकल नहीं झुकने वाले
 सड़ी हुई जड़ों वाले
 पेड़ की तरह
 कहने लगे, “जा रहा हूँ।”

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