साहड़ा सुंदरी / प्रतिभा शतपथी

रचनाकार: प्रतिभा शतपथी (1945)
जन्मस्थान: सत्यभामापुर, कटक
कविता संग्रह: अस्तजन्ह रे ऐलीजी(1969), ग्रस्त समय(1974), साहाड़ा सुंदरी(1978), नियत वसुधा(1986), निमिष अक्षर(1985), महामेघ(1988), शवरी(1991), तन्मय धूलि(1996)

मै क्या ! मुझसे भी कई गए गुजरें हैं
पेड़- पौधें, आकाश, पवन
सांझ के विविध वर्ण
सुबह का हँसता खिलखिलाता चेहरा

किसका साहस है जो शांत करेगा तुम्हारी
पूर्ण शून्यता से पैदा हुई
निर्बोध व्यथा को  ?
मै क्या किसी दूसरे लोक का हूँ !
उसका लुभावना रूप
हँसना, रोना, बातें करना
इस्तरी की हुई साड़ी पहनना
पेंसिल से भृकुटी बनाकर घूमना
बाजार करना, घर सजाना
अकेले में उसकी उदासी को
मैंने अपनी आँखों से देखा है.

साहड़ा पेड के गंदे तने में छुपकर
मैं धूप में तपा
बारिश में भीगा,
ठण्ड में ठिठुरा

हे सुंदरी !
तुम्हारी अस्थिरता ने मुझे भीतर से झकझोर दिया
कितने पर्व- त्योंहार की तिथियाँ
तुम्हारी उदासी और दुःख
के नीचे दबकर रह गई .

तुम्हें कैसे ये सब पता नहीं चल रहा है
मेरे पास इससे अधिक कुछ भी नहीं है.
मेरे कानों में दिव्य-रथ की घर्घर आवाज
कभी सुनाई नहीं पड़ेगी
रिमझिम-बारिश जैसे धीमे- धीमे झिप- झिप शब्द करते हुए
गुजरता प्राकृतिक समय-चक्र !
तुम क्या दोपहर के समय घास-फूस के ऊपर
ओस के आवेगमय स्वेद-कणों को
खोजते हुए घूम रही हो ?

वह तो सूर्य की हाथ-सफाई है
किशोरी की मासूम आँखों में केवल
भविष्य के रंगीन सपनें
उससे पहले कितने- कितने लोगों ने
अस्थिर व्याकुल होकर अन्वेषण किया
कुछ मिला?
समय की विस्तृत चट्टान पर धीरे- धीरे
उन भीगें पांवों के निशान तक मिट गए
'किससे क्या पूछोगी' सोचकर इतनी उद्विग्नता?
भाग्य !
दोनों हथेलियों से पकडे पतंगे के पंख को उखाड़ने पर
उसका तिलमिलाना
और दूर से बच्चों द्वारा कौतूहलवश देखना
ऐसा ही तुम्हारा भाग्य,
तुम्हारे कैनवास पर अंकित
सुन्दर लैंडस्केप पर
स्याही की बोतल उंडेलना
उसके हाथों से बनाई गई
सुन्दर प्रतिमा के उज्ज्वल चेहरे पर
तिल-फूल जैसे सुन्दर नाक के तले
अंगार से दो मूंछें खींचना
फूलदान में गुलाब की डाली के
के एकदम ताजे पहले फूल को अनियंत्रित
अनियंत्रित नाखूनों से कुचलना
( प्रफुल्लित और निबिड़ स्नेह में ! )
वही तो तुम्हारा भाग्य
क्या कहोगे ?
इसलिए आओ
शीतल पवन और अनेक फूलों की
दूर से आ रही सुंगध के तले आज रात को
निश्चिंत होकर एक घडी सो जाओ
भूल जाओ कम से कम एक पल के लिए
तुम मुझसे अलग और कोई हो ?

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